जा कारण जग ढूंढिया, सो तो घट ही माहिं ।
परदा कीया भरम का, ताते सूझे नाहिं ।।
अर्थ: जिस भगवान की तू संसार में खोज करता फिरता है वह तो हे जीव तेरे मन में व्याप्त हैं । भ्रम के पर्दे के कारण मुझे नहीं दिखाई देता इसलिए हे जीव, तू अपने मन के अज्ञान को नाश कर और ईश्वर के दर्शन कर । अर्थात बिना ज्ञान के हरि दर्शन नहीं हो सकता ।