जब लग भक्ति से काम है, तब लग निष्फल सेव ।
कह कबीर वह क्यों मिले, निःकामा निज देव ।।
अर्थ: जब तक भक्ति स्वार्थ के लिए है तब तक ईश्वर की भक्ति निष्फल है । इसलिए भक्ति निष्काम करनी चाहिए । कबीर जी कहते हैं कि इच्छारहित भक्ति में भगवान के दर्शन होते हैं ।