घी के तो दर्शन भले, खाना भला न तेल ।
दाना तो दुश्मन भला, मूरख का क्या मेल ।।
अर्थ: तेल खाने से घी के दर्शन करना ही उत्तम है । मूर्ख मित्र रखना खराब है तथा बुद्धिमान शत्रु अच्छा है । मूर्ख में ज्ञान न होने के कारण जाने कब धोखा दे दे, परंतु चतुर वैरी हानि पहूँचाएगा उसमें चतुराई अवश्य चमकती होगी ।