गर्भ योगेश्वर गुरु बिना, लागा हर का सेव ।
कहे कबीर बैकुंठ से, फेर दिया शुकदेव ।।
अर्थ: यदि किसी ने अपना गुरु नहीं बनाया और जन्म से ही हरि सेवा में लगा हुआ है तो उसे शुकदेव की तरह बैकुंठ से आना पड़ेगा ।
अर्थ: यदि किसी ने अपना गुरु नहीं बनाया और जन्म से ही हरि सेवा में लगा हुआ है तो उसे शुकदेव की तरह बैकुंठ से आना पड़ेगा ।