केतन दिन ऐसे गए, अन रुचे का नेह ।
अवसर बोवे उपजे नहीं, जो नहिं बरसे मेह ।।
अर्थ: बिना प्रेम की भक्ति के वर्ष बीत गया तो ऐसी भक्ति से क्या लाभ जैसे बंजर जमीन में बोने से फल नहीं होता चाहे कितना ही मेह बरसे ऐसे ही बिना प्रेम की भक्ति फलदायक नहीं होती ।