केतन दिन ऐसे गए, अन रुचे का नेह । अवसर बोवे उपजे नहीं, जो नहिं बरसे मेह...
कली खोटा सजग आंधरा, शब्द न माने कोय । चाहे कहूँ सत आइना, सो जग बैरी होय...
कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा । कै सेवा कर साधु की, कै गोविंद...
कथा कीर्तन कुल विशे, भव सागर की नाव । क़हत कबीरा या जगत, नाहीं और उपाय ।।...
कबिरा आप ठगाइए, और न ठगिए कोय । आप ठगे सुख होत है, और ठगे दुख होय...
कबिरा ते नर अन्ध हैं, गुरु को कहते और । हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे...
कबिरा जपना काठ की, क्या दिखलावे मोय । हिरदय नाम न जपेगा, यह जपनी क्या होय ।।...
कबीर यह जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ । काल्ह जो बैठा भंडपै, आज भसाने दीठ...
कबीर सीप समुद्र की, रटे पियास पियास । और बूँदी को ना गहे, स्वाति बूँद की आस...
कबिरा मनहि गयंद है, आंकुश दै-दै राखि । विष की बेली परि हरै, अमृत को फल चाखि...