अवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय । मानुष से पशुया भया, दाम गाँठ से खोय ।।...
उतने कोई न आवई, पासू पूछूँ धाय । इतने ही सब जात है, भार लदाय लदाय ।।...
उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय । एक हरि के नाम बिन, बाँधा यमपुर जाय ।। अर्थ: उजले...
आया था किस काम को, तू सोया चादर तान । सूरत संभाल ए काफिला, अपना आप पहचान...
आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत । जोगी फेरी यों फिरो, तब बुन आवे सूत...
आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय । सो जाने जो जरमुआ, जाकी लाई होय...
आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर । एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बाँधि जंजीर ।। अर्थ:...
आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद । नाक तलक पूरन भरे, तो कहिए कौन प्रसाद ।। अर्थ:...
आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक । कह कबीर नहिं उलटिये, वही एक की एक ।।...
आस पराई राखता, खाया घर का खेत । औरन को पथ बोधता, मुख में डारे रेत ।।...