कहा कियो हम आय कर, कहा करेंगे पाय । इनके भये न उतके, चाले मूल गवाय ।।...
valaravim
काया काढ़ा काल धुन, जतन-जतन सो खाय । काया ब्रह्म ईश बस, मर्म न काहूँ पाय ।।...
काल करे सो आज कर, आज करै सो अब । पल में परलय जोयागी, बहुर करैगा कब...
काह भरोसा देह का, बिनस जात छिन मारहिं । साँस-साँस सुमिरन करो, और यतन कछु नाहिं ।।...
कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय । टूट-टूट के कारनै, स्वान धरे धर जाय ।।...
कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान । जम जब घर ले जाएँगे, पड़ा रहेगा म्यान...
कबीरा लहर समुद्र की, निष्फल कभी न जाय । बगुला परख न जानई, हंसा चुग-चुग खे ।।...
को छुटौ इहिं जाल परि, कत फुरंग अकुलाय । ज्यों-ज्यों सुरझि भजौ चहै, त्यों-त्यों उरझत जाय ।।...
कबीरा संगत साधु की, निष्फल कभी न होय । होमी चन्दन बासना, नीम न कहसी कोय ।।...
कबीरा संगति साधु की, जित प्रीत किजै जाय । दुर्गति दूर वहावती, देवी सुमति बनाय ।। अर्थ:...