एक कहूँ तो है नहीं, दूजा कहूँ तो गार ।
है जैसा तैसा रहे, रहे कबीर विचार ।।
अर्थ: कबीर कहते हैं यदि मैं ईश्वर को एक कहूँ तो यह भी सही नहीं हो सकता हैं क्योंकि ईश्वर हर जगह सर्वत्र विद्यमान हैं. यदि मैं दो कहूँ तो यह बुराई करने के समान होगा. इसीलिए मैं कबीर कहता हूँ जैसे आप हैं वैसे ही बने रहिये