कहता तो बहूँना मिले, गहना मिला न कोय ।
सो कहता वह जाने दे, जो नहीं गहना कोय ।।
अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि इस संसार में आत्मज्ञान के उपदेशक तो बहुत मिले कि आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए यह करना चाहिए वह करना चाहिए आदि, परंतु उसको अपने अंदर अपनाने वाला कोई जीव नहीं मिला । उनके कहने पर स्नेह मात्र नहीं जो आत्मज्ञान के विवेकी नहीं हैं ।