जो जन भीगे राम रस, विगत कबहूँ ना रुख । अनुभव भाव न दरसे, वे नर दुःख...
Month: May 2023
जो जाने जीव आपना, करहीं जीव का सार । जीवा ऐसा पाहौना, मिले न दूजी बार ।।...
जो तू चाहे मुक्ति को, छोड़ दे सबकी आस । मुक्त ही जैसा हो रहे, सब कुछ...
झूठे सुख को सुख कहै, मानता है मन मोद । जगत चबेना काल का, कुछ मुख में...
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय । यह आपा तो डाल दे, दया करे...
जाके जिभ्या बन्धन नहीं हृदय में नाहिं साँच । वाके संग न लागिये, खाले वटिया काँच ।।...
जहाँ ग्राहक तंह मैं नहीं, जंह मैं गाहक नाय । बिको न यक भरमत फिरे, पकड़ी शब्द...
जहर की जमी में है रोपा, अभी सींचें सौ बार । कबिरा खलक न तजे, जामे कौन...
जल में बर्से कमोदनी, चन्दा बसै अकास । जो है जाको भावना, सो ताही के पास ।।...
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहिं । सब अंधिरा मिट गया, दीपक...