पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय ।
एक पहर भी नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ।।
अर्थ: दिन में आठ पहर होते हैं, उन आठ पहरों में से पाँच पहर सांसारिक धन्धों में व्यतीत हो गए और तीन पहर सोने में । यदि एक पहर भी भगवान का स्मरण न किया जाये तो किस प्रकार से मुक्ति की प्राप्ति हो सकती है । अर्थात संसार में रहते हुए प्रभु का ध्यान अवश्य करना चाहिए ।