जा पल दरसन साधु का, ता पल की बलिहारी ।
राम नाम रसना बसे, लिजै जनम सुधारि ।।
अर्थ: जिस घड़ी साधु का दर्शन हो उसे श्रेष्ठ समझना चाहिए । और रामनाम को रटते हुए अपना जन्म सुधारना चाहिए ।
अर्थ: जिस घड़ी साधु का दर्शन हो उसे श्रेष्ठ समझना चाहिए । और रामनाम को रटते हुए अपना जन्म सुधारना चाहिए ।