आया था किस काम को, तू सोया चादर तान ।
सूरत संभाल ए काफिला, अपना आप पहचान ।।
अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि प्राणी तू यहाँ मनुष्य योनि में जन्म लेकर भगवान भजन के लिए आया था । परंतु सांसारिक मोह, वासनों में फँस कर उसको भूल गया है इसलिए तू अपने को पहचान कर अर्थात अज्ञान व मोह, वासनाओं का त्याग कर मान प्राप्त करके ईश्वर का स्मरण कर ।