तन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय ।
कबहुँ के धर्म अगमदयी, कबहुँ गगन समाय ।।
अर्थ: मनुष्य का शरीर विमान के समान है और मन काग के समान है कि कभी तो नदी में गोते मारता है और कभी आकाश में जाकर उड़ता है ।
अर्थ: मनुष्य का शरीर विमान के समान है और मन काग के समान है कि कभी तो नदी में गोते मारता है और कभी आकाश में जाकर उड़ता है ।